एक दिन मै अपने दोस्त “निशांत” के साथ CCD में बैठा था | हमेश खुश और हस्ता हुआ
मेरा दोस्त आज कुछ उदास था , बार बार अपने फ़ोन की तरफ देखता फिर मुहँ फेर लेता |
उसके इस अजीब behavior को देखकर मैंने उससे
इसकी वजह पूछी , तो उसने अपने मोबाइल की स्क्रीन मेरे तरफ कर दी | वो किसी की
तस्वीर देख रहा था , एक सुन्दर जोड़े में खडी नयी दुल्हन और उसका दूल्हा , वो लड़की जानी
पहचानी थी और मेरे दोस्त की उदासी वाजिब थी | “ क्यूँ देख रहा है यह सब ,छोड़ मन में कुछ मत ला” मैंने उसे समझाया , निशांत जो कभी मेरी बात नही सुनता था आज अचानक से मान गया
और उसने मोबाइल अपनी जेब में रख लिया | पर उसकी उदासी उसकी आँखों में साफ़ देख रही
थी |
पर निशांत का उदास चेहरा बहुत कुछ
कह रहा था | उस एक तस्वीर ने मेरे दोस्त को उसकी वो ज़िन्दगी याद दिलादी जिसे वो
भूल चूका था या भूलना का प्रयास कर रहा था | उस तस्वीर में वो नव विवाहित दुल्हन
का नाम था “ फातिमा “, जो कॉलेज में निशांत के साथ पढ़ती थी, दोनों साथ थे और कई
साल Relationship में
भी रहे | मैं दोनों को बहुत
अच्छे से जानता हूं , अपनी छोटी मोती बातें वो मुझसे share करते थे | निशांत जहाँ दिलफेक और extrovert था
, वही फातिमा बेहद शांत , समझदार और Introvert
थी
| CCD में 11/- रुपए
के उधार के साथ हुई ये दोस्ती कब
प्यार में बदल गयी दोनों की पता नही चला | हालांकि दोनों छोटी छोटी बात पे बहुत लड़ते
थे पर अंत में सब ठीक हो जाता था | फातिमा जब ही अपने 11/- रुपए माँगती निशांत कहता की जब यह 11/- हमारी शुरुवात थी , इसे अपने हमारे
प्यार के आखिरी दिन तक चुकाऊंगा | दोनों साथ में हमेशा खुश दिखते थे और उनकी Chemistry देखने लायक थी , पर अब वो साथ में
नहीं थे | क्यूँ ? कैसे ? कब? यह सवाल मेरे दिमाग में काफी बार घूमता था पर कैसे पूंछू
नही पता था |
आज हिम्मत करके मैंने पूंछ ही
लिया,उदासीन निशांत ने फिर अपने दिल की बात मुझे बताई और उसकी उस उदासी का सही
कारण मुझे समाझ आया | दोनों के बीच सब ठीक था पर दोनों का साथ में रहना मुश्किल ही
नहीं असंभव सा था, वजह थी धर्म,जात,बिरादरी, और लोग क्या कहेंगें वाला attitude | उस दिन लगा कि हम कितने भी पढ़-लिख
ले , कितने भी नियम-कानून बना ले , रहते हम उन्ही समाज की बंदिशों में जो हमारी Choice को , हमारी सोच अपनी रूडी –वादी धारणा
के नीचे कुचल देती है |
अपने परिवार की इज्ज़त के लिए दोनों
अलग हुए पर निशांत ने कभी इसका ज़िक्र नही किया क्यूंकि वो कहता था की उसे पता था
अगर यह मिलन हो भी जाता तो शायद फातिमा को वो प्यार, इज्ज़त और स्वीकारता नही मिलती जिसकी
वो हकदार थी | बिलकुल यही उसके साथ भी होता जो की दोनों को पसंद नही आता | निशांत
के अन्दर mixed feelings थी, ख़ुशी इस बात की वो खुश है , तस्वीर में फातिमा की मुस्कान से जाहिर था की वो
अपनी नयी ज़िन्दगी का स्वागत कर रही है और अपने माँ-बाप को वो ख़ुशी दे पा रही है जो
उसने कभी सोचा था | दुःख इस बात का की काश वो दूल्हा होता , काश इस तस्वीर में फातिमा के साथ निशांत
होता , और अगर यह सब हुआ भी तो उसको कभी पता ना चलता | पर निशांत उस उदासी से बाहर
आ गया था , अपने लड़खड़ाते हुए career और
अपने माँ-बाप का गर्व बनने की ज़िम्मेदारी ने उसे सतर्क कर दिया था | वो तस्वीर ने
एक चीज़ निश्चित कर दी थी कि अब दोनों के रास्ते
अलग हैं जो शायद कभी ना मिले | इसी ख्याल के साथ निशांत और मैंने, कॉफ़ी ख़त्म की और
निशांत ने waitress को 11/- रुपये टिप दी | ये पहली बार था जब
निशांत ने किसी को टिप दी , मैं भी चौंक गया पर फिर मैंने waitress की ओर देखा, उसकी नेमप्लेट पे लिखा था “ फातिमा”............!!!!
It feel so true and real....sshhhh
ReplyDeleteIt is a mixture of real incidents and some fantasy.
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