Wednesday, February 20, 2019

प्रेम – एक अविस्मरणीय अनुभूति


प्रेम का आविष्कार मैने नहीं किया, लेकिन फिर मुझमे जाने कहाँ से इसकी अनुभूति होती है |जिसे देखा भी नहीं था कभी मैंने ,बस महसूस किया , जाने कब और कैसे आकर मुझमें बस गया |जिसे जानने की भी कभी चेष्टा नहीं की, वो रह-रह कर कभी खुशियाँ देता तो कभी बेपनाह ग़म | कभी-कभी ये पीड़ाएँ इतनी घनीभूत हो जाती हैं कि आत्मा तक छलनी हो जाती है | हालांकि सब चाहते हैं प्रेम इस मृत्युलोक में , मगर सबकी कसौटियाँ अलग हैं | कोई किसी प्रकार से प्यार करना चाहता है तो कोई किसी और तरह से | प्रेम के नाम पर अक्सर कलह चलती रहीं हैं इसका कोई अंत नहीं है |


Image Source www.pexels.com

जिंदगी में गाहे-बगाहे कभी कुछ ऐसे पल भी जाते हैं जिसे हम ग़लती से "प्रेम" समझ बैठते हैं |हालांकि पूरी तरह से एक-निष्ठ हम प्रेम से तब भी नहीं होते | ये सिलसिला बरसों से यूँ ही चलता रहता है, और बाद में पता चलता है कि जिसे हमने प्रेम जाना था , वो बस हमारी जरूरत थी | आजकल के प्रेम को जब भी खंगाला गया,तब प्रेम वहाँ से नदारद ही रहा क्यूंकि जिसे हम प्रेम समझते हैं वो हमारी दैहिक और मानसिक जरूरतानुसार  उपजी एक ज़रूरत है | ऐसे प्रेम का आविष्कार मैंने नहीं किया और ना ही ऐसे प्रेम की सहारना करता हूं | प्रेम एक उगते सूरज की भातिं जीवन में उमग लाता है ,पागलों की तरह हमेशा खदबदाता रहता है | एक बेचैन आत्मा-सा व्याकुल,अपने प्रिय-पात्र की काल्पनिक एकनिष्ठता में डूबा रहता है | वो दीवानों सा नाचता,पागलों सा झूमता ,तितलियों-सा उड़ता और भौरों-सा गुनगुनाता है जिसकी गुंजन जीवन में हर्शौलाश लाती है | इन्सान प्रेम में सबसे बड़ी गड़बडी यही करता है वो प्रेम को खाने में डालने वाले नमक की भाँती स्वादुनासार चाहता है | अपनी जरूरतों और स्वार्थों के अनुसार किया गया प्रेम, कभी नहीं रास आता , ऐसा व्यवहार आपके प्रेमी को मजबूर , असहाय और घृणित महसूस करता है |



इन्ही वजहों से ,प्रेम मेरे लिए आज तक,अब तक नदारद है | आज भी मैं सच्चे प्रेम लिए भटकता हूँ क्यूंकि उसे भी नहीं चाहिए मेरा प्रेम  जिसे मैं चाहता हूँ | प्रेम मेरी आत्मा में है, तलाश है उस शक्श की जो मेरी आत्मा में बसे, जो मेरी आत्मा से प्यार करे, मैं उसकी उसकी और वो मेरी ज़रूरत नहीं,ख्वाइश बने |  





No comments:

SUBSCRIBE THROUGH MAIL

Copyright © Elliptical Focus (2018). All Rights Reserved. Powered by Blogger.